कनियां काकी

गणेश कुमार लाल

घरसऽ सटल दलान । दलानसऽ सिधा घर जेबाक द्वार । पन्द्रह फीट लम्बा आ बारह फीट चौडा आागन । पूर्व दिशासऽ सूर्य भगवानक दर्शन भ जाय ताही हेतु पश्चिमस पूर्व तर्फके पाँचटा कोठलि । दाहिना बगल तुलसी के चबुतरा । अहि सऽ सटल दूटा गुलाब के गाछ । देखवामे अति सोभाएमान छल । अहि घर के कनिया काकी अपन निजि प्रयोजन के लेल रखने छलिह । घर मे काम करबालि ललिता के मात्र अहि कोठलि मे प्रवेश करबाक आदेश छलैक । ओ नित्य अहि कोठलि के साफकऽ कनिया काकी वास्ते पुजाके सामान व्यवस्थित करैत छलिह । कन्याअवस्थामे विवाह भ गेल आओर विवाह के एक वर्ष बाद ओ विधवा भऽ गेलिह । अहि कारण लोक सब कनिया काकी कह लागल । हुनकर पति बलदेब के अचानक बस दुर्घटना मे मृत्यु भ गेल छल । खेति पाति लगभग दस बिगहा छल ।हुनका एकटा जिप भाडा पर लागल छलैन्ह । घर के सामान्य खर्च अहि सऽ चलैत छल ।कहियो काल कनिया काकी अहि जिप सऽ भगवान के मंन्दिर जाइत छलिह । अहि घटना के बितैत बितैत पाँच वर्ष के अन्तराल मे सास–ससुर संसार सऽ बिदा भऽ गेल छलाह । गाम के टेढ राजनिति आ रामप्रवेशके दाव –पैच सऽ संघर्ष करैत करैत कनिया काकी मुँहजोर भऽ गेनाई स्वभाविकछल ।सुन्दर तन आ अथाह धन के मालकिन कनिया काकी पर रामप्रवेशके वक्रआँखि चौबिसो घण्टा सेटेलाइट जका अपन कान दिन राति लगेने रहैत छल । कखनो धन नोचवा लेल आ कदनो तन नोचवालेल । सब हाइतो जीवन भरी ओ ककरो दालि गल नही देलखिन ।खंडित अहिवात आ अखंडित इज्जत के रक्षा करैत — करैत कनिया काकी एक जुझारु म्हिला बनि गेलिह । कनिया काकी के संग मे विवाह मे पिता जी सऽ प्राप्त बहुमूल्य रत्नसऽ जडित गलाके हार छल । प्राचीन काल सऽ आभूषण सर्वाकधिक आकर्षण आ सौन्दर्य के वस्तु अछि । अपना संग मे रहल आभूषण के आदमी सब पीढी दर पीढी सुरक्षित रुपसऽ रखैत छथि । आभूषण के उपयोग मात्र सौन्दर्य के लेल नही, अपितु अन्य प्रयोजन के वास्ते सेहो लोक करैत छथि । हिन्दू धर्म मे स्त्री के मुख्य धन आभूषण मानल जाइत अछि । विपदा अवस्था आ आपत्ति के समय स्त्री के अहि धनसऽ सहायता प्राप्त होइत छैक । अहि धनसऽ ओ अपनाके दुःख के समयमे काम लागवला धन निश्चित रुपसऽ धन अभाव मे काम लगैत छैक । कनिया काकी लक्ष्मी पुजा के दिन मात्र अहि आभूषण (गर्दन के हार) के पुजा केलाके बाद फेर सुरक्षित स्थान मे राखि दैत छलिह ।रामप्रवेश के मोन अहि आभूषण पर ललचायल रहैत छल ।अनेक दाव पेंच लगाक ओअहि के प्राप्त कर चाहैत छल ।रात्री के दस बाजि गेल छल । पुजा कराकऽ पुजारी कनिया काकी के घर सऽ बिदा भेल चल लागल छलाह । तखने रामप्रवेश एक आमदमी के संग घर मे प्रवेश करवाक प्रयास केलक ।पुजारी कनिया काकी के इसारा केलखिन । कनिया काकी अवस्था के समझैत घर के दोसर रस्ता सऽ बाहर निकलि कन्हैया चौधरी के घर चलि गेलिह । असोरापर एकटा पुरनका साइकिल राखल छल ।रामप्रवेश अहि साइकिल सऽ टकरा गेल । ओकरा पैर मे चोट लागि गेलैक । पुजारी के धक्का मारीक कनिया काकी के खोज लागल गाम मे हल्ला भऽ गेल । परोसी कन्हैया चौधर िलाठीधारी चार गोटा के लक बिदा भेला । कनिया काकी के घर मे टिमटिमाइत दिया जरैत छल । रामप्रवेश भाग मे सफल भऽ गेल । रामप्रवेश के साइकल सऽ लागल चोट सऽ राति भरी ओ दर्द सऽ परेशान रहल, हाथ किछ नही लगलैक ।अहि तरह के गलत प्रयास ओ कनिया काकी सऽ वर्ष मे एक दु बेर करैत छल । भगवान के अनुकम्पा छल जे कनिया काकी के ओगला के हार लेब नही सकल । अचानक अहि घटनाके देख आ भुगतिक कनिया काकी के ह्दय किछ समय के लेल काठ भगेल । नहिरासऽ अपन पिता जी के बजाकऽ बिचार विर्मश केलाके बाद घर के पूरबारी कात के जमीन मे पा्रथमिक स्कूलखोलवाक निश्चय केलिह । अहि प्राथमिक विद्यालयके विशेषता छल जे बालिका सबके कक्षा पाँच तक किताव कापी स्कूलसऽ निशुल्क देल जाइत छलैक । कनिया काकी शिक्षा के अपन जीवन मे समाज रुपान्तर के संग महिला सशतिmकरण के सबसऽ बडका हथियार मान लगलिह । हुनकर मान्यता छल जे जीवन मे सब मुश्किलके पार करबा लेल शिक्षा सऽ बढिया हथियार अन्य कोनो नही भऽ सकैत अछि ।शिक्षा के मजबूत केलाके बाद समाजके आगा बढायल जा सकैत अछि । अनपढ आदमी से हो रोजगारी करैत छथि । परञ्च शिक्षित भेला सऽ समाज के आगा बढा सकैत छी ।शिक्षा के वास्ते कनिया काकी कतेक गाम मे पैदल घुमि–घुमि कऽ प्रचार केलैन तथा बाल बालिका सब के शिक्षा के लेल प्रोत्साहन देलखिन । कनिया काकी के अहि प्रयास मे गाम के किछ महिला सब संग देनाई शुरु केलखिन । एक वर्ष के बाद सरकारसऽ अहि स्कूल के मान्यता प्राप्त भऽ गलैक । अहि विद्यालयमे छात्र छात्रा के रहबाक हेतु आवास गृह के निमार्ण भेलासऽ विद्या आरजन मे गाम के बाल बालिका के आसान भऽ गलैक । अहि विद्यालयसऽ शिक्षा प्राप्त केने निर्मला लाल चिकित्यसा विज्ञानमे डाकटर डिग्री प्राप्तक महाबीर अस्पताल मे कार्यरत छलिह । ओ सेवाग्राही जनताके ह्दय सऽ ततपरताके साथ लगनसिल भऽ सेवा करैत छलिह । बढैत उमेर के अनुसार कनिया काकी के शारीरिक अवस्था कमजोर होब लागल । डा निर्मला के बहुत अनुरोध बिनती कय ओ हुनका संगे रोगी के सेवा कर मे लागि गेलिह । बिमार पडल लोक सब के सबेर मे पानी के एक एक बोतल ओ नित्य पहुचा अवथिन । अहि काम के बाद कनिया काकी चुपचाप अपन धर्म निर्वाह कऽ ओ श्री कृष्ण मंदिर मे जा पूजा अर्चना मे लागि जाइत छलिह ।हुनकर अहि सेवा के डा निर्मला के संगी —साथी डाकटर सब बहुत प्रसंसा करैत छल । अहि तरहे कनिया काकी त्याग आ बलिदान के प्रतिक छलिह ।ओ आजीवन मानव सेवा मे अपना के लगा देलखिन । उपनिसद मे संदेश अछि सब मे अपना के देर्खु आत्मवत सर्वभूतेषू े।शास्त्र मे राजा रतिदेव के कथा अछि । राजा रतिदेव के तपस्या सऽप्रसन्न भऽ कऽ ईश्वर बरदान मागवालेल कहलखिन त राजा रतिदेव राज्य,स्वर्ग, आ मोक्ष के कामना नहि कऽ बरदान मगलैथ र्जे कामय कामये दुखतप्रानत्रिणिना आर्तनानम ेअर्थात हमर इच्छा अछि जे दुःख सऽ पिडित व्यतिm के हम सेवा करवाक सामथ्र्य हमरा प्राप्त होय । यि हिन्दु चिन्तन मे जीवन जीवाक महामन्त्र अछि । जे दोसर के लेल जीवाक इक्छा शतिm प्रदान करैत अछि । गुण सऽ भरल चिज के कोनो मूल्य नही हौइत छैक । जेना कि हावा ,पानी,इत्यादी । प्रकृति रुपसऽ कोनो भाव नही होइत अछि आ ओ चिज सब के जीवित रखैत अछि ।जेना आध्यमिकता, प्यार,लगन, सेवा ,इत्यादी ।अहि मार्ग पर चलबलाके लेल लगन आ विश्वास के आवश्यकता पडैत छैक । जे वर्तमानमे अछि यदि अहि के सही मार्ग भेट गेलापर ओ प्रस्फूटन भऽ जाइत अछि आ मात्र कर्म देखाइत अछि ।कनिया काकी अपन श्रम,प्रेम,सेवामे आजीवन लागल रहलिह । ईश्वर के सहारा हमरा सब कर्म कर बला के संग सदैब बनल रहैत अछि ।कारण जे हम स्वयं के उत्थान के प्रयास मे लागल रहेत छि ।पानी मे डुबकि लगेला के बाद एकटा ऐहसास के आभास होइत अछि ,ओही जका कनिया काकी के प्रशन्नता सदैब प्राप्त रहलैन । कनिया काकी नब्बे वर्ष के उमेर मे हरिदूार तिर्थयात्रापर चलि गेलिह ।गगं ा के पवित्र स्नान के बाद संसार सऽ सदा के लेल आँखी बन्द कऽ लेलिह ।सब डाकटरके प्रयतन काम नही लागल ।ककरो सऽ सेवा करेवाक ओ मौका नही देलखिन आ पञ्चतत्व मे विलिन भऽ गेलिह । ग्।णेश कुमार लाल मैथिलि कहानि लेखक मलंगवा वार्ड न ९ सर्लाही, नेपाल फो न ९७४१११४६४६