पसरल प्रेमक फूल पसरल प्रेमक ताल रे
सिहरि सिहरि कए पुरबा डोलय
डोलय कमल मृणाल रे ।
साजन अयला अपना अंगना
देखने छलिऐ रातिए सपना
झुमय झूलय रंग विरंगक भावक गांथल माल रे ।
अनधन फूलल तीसीक फूल ।
पीयर फुलल सरिसो झुल
मनक नील आकाश बिच में उडिते सुग्गाक जाल रे ।
भरल पुरल खरिहान मान सौं
नेहक मेह गारल गान सौं
भावक भांवरि घुमि–घुमि लाधल पे्रम दुलारक टाल रे ।
भावक मेघ घुमडि देखय,
हृदयक कविता अपने लिखय
भोरक किरण आंगुर लगिते चतरल लाले गाल रे ।
मैना वाजय मिसरी बोली
भावक तितिर टोलक टोली
कोइलिक पसरल पांखि छुवि मन, गाजल नयनक थाल रे
परल कमलक फूलो सुरभित, पसरल पे्रमक माल रे ।